लोगों से क्या, अब खुद से अंजान रह जाते हैं शीशे में भी हम, नज़र नहीं आते हैं|| लोगों से क्या, अब खुद से अंजान रह जाते हैं शीशे में भी हम, नज़र नहीं आते हैं||
अल्हड़ सी इक मासूम कली थीइक गाँव की एक हवेली मेंराजकुमारी की तरह पली थीबड़े बुज़ुर्गों की गोदी में अल्हड़ सी इक मासूम कली थीइक गाँव की एक हवेली मेंराजकुमारी की तरह पली थीबड़े बुज़...
A poem about changing the centres A poem about changing the centres
कभी करीब से देखो मौत को परवानो कि तरह, तो उसके दामन में गिरे अश्क में भीग जाने को दिल हो ही जायेगा। कभी करीब से देखो मौत को परवानो कि तरह, तो उसके दामन में गिरे अश्क में भीग जाने ...
मैं बोला - "यही तो है संसार में ख़ुशियों भरी पेड़ की जड़ ।" मैं बोला - "यही तो है संसार में ख़ुशियों भरी पेड़ की जड़ ।"
नाम की महिमा "राम" ही जानै,कोटिन पाप हर लीनो। नाम की महिमा "राम" ही जानै,कोटिन पाप हर लीनो।